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लेखनी कहानी -11-Apr-2025

सजल

कभी खूब नाच नचाती है जिन्दगी। कभी सूकूँ की नींद सुलाती है जिन्दगी।

किसी के लिए औलाद बेहद ज़रूरी है किसी घर में भूखा सुलाती है जिन्दगी।

ईमान बिकता है सरे बाजार में उनके भाव लगाती है जिन्दगी।

बिन फेरों के शादी हो जाती आजकल बेशर्मों को इज़्ज़त दिलाती है जिन्दगी।

सच्चाई तो गालियां सुनती रही हमेशा झूठ को सदारत दिलाती है जिन्दगी।

हरकतें देखो पढ़े लिखों की आजकल बुजुर्गों पे तोहमत लगाती है जिन्दगी।

अपनों को देखा है इतने क़रीब से रेणु इनसे नफ़रत कराती है जिन्दगी।

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1 Comments

HARSHADA GOSAVI

11-Apr-2025 07:00 PM

V nice

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